Friday, May 2, 2008

असफल होने का सहसा ही सफलता तक पहुचाता है|

गुलमोहर तो गर्मियों मी ही खिलते है
यह तो सवाल है की सैंकडो सही निर्णय आपकी ज़िंदगी को संवार ना सके लेकिन इसे उजड़ने के लिए एक ग़लत निर्णय पर्याप्त है
यदि आप ट्रेन मी सफर कर रहे तो आप चल नही रहे है जा रहे है
महत्वपूर्ण आप नही है, बल्कि वो लोग है जो आपको महत्वपूर्ण समझ रहे है
दावा काम नही करता दवा कीजिये, दुआ कीजिये और ये दोनों काम करते है
काम स्वयं मी एक पुरुस्कार है, न की पुरुस्कार दिलाने वाला
हमारे दुःख बड़े नही होते दुःख को सहन करने की हमारी ताकत चोटी हो जाती है
तीखे मोदो को धीरे से ही पार किया जा सकता है
ट्रक को ओवर टेक करके जैसे ही आप आगे निकलते है, थोडी देर मी फिर से एक नया ट्रक आपके आगे चल रहा होत है ज़िंदगी भी यही है
असफल होने का सहसा ही सफलता तक पहुचाता है

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